प्रार्थना में पवित्र आत्मा की सहायता | Prathna Me Pavitra Aatma Ki Sahayata

Bro. Deva

यह वेबसाइट आत्मिक जीवन एवं परमेश्वर के सामर्थ में बढ़ने, आलौकिक एवं जयवन्त मसीह जीवन जीने, परमेश्वर के वचन को सरलता एवं गहराई से समझने में मदद करेगी। यदि आप परमेश्वर, प्रभु यीशु मसीह के वचन को समझने के लिये भूखे और प्यासे हैं तो मेरा विश्वास है कि यह वेबसाईट आपके लिये सहायक सिद्ध होगी।

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प्रार्थना में पवित्र आत्मा की सहायता
मेरे प्रियों यदि आप प्रार्थना योद्धा हैं तो मेरे लिये और मगन होने वाली बात हैं, क्योंकि मैं जो बात लिखने जा रहा हूं वह आपके लिये है। जब आप प्रार्थना में बैठते हैं तो आप ही नहीं आपके साथ आपका सहायक अर्थात पवित्र आत्मा भी होता है। आईये पवित्र आत्मा कैसे सहायता करता है, नीचे पढ़े:-

पहला रास्ता – पवित्र आत्मा स्वयं हमारे द्वारा आहें भर भरकर प्रार्थना करता है। 

‘‘इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है। (रोमियो 8:26-28)

                                             परमेश्वर का वचन यहां पर मनुष्य की दुर्बलता को व्यक्त करता है। मनुष्य को इस बात को स्वीकार करना चाहिये कि वह दिमागी रूप से या अपने आप में आत्मिक ज्ञान में दुर्बल है और इसी दुर्बलता को दूर करने के लिये परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा दिया है, जिसकी सहायता से हम प्रार्थना करते हैं, क्योंकि हम नहीं जानते कि हमें किस रीति से प्रार्थना करना चाहिये, किन्तु पवित्र आत्मा आप ही आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है हमारे लिये विनती करता है। जब भी हम प्रार्थना में बैठते हैं तो पूर्ण रीति से पवित्र आत्मा को अपने प्राण, देह और आत्मा में कब्जा करने दें ताकि इस संसार में हमारे द्वारा पवित्र आत्मा मध्यस्थता करें और परमेश्वर की महिमा और स्तुति करे। इस बात के लिये हम आत्मिक परिश्रम करें, बार-बार अभ्यास करें कि पवित्र आत्मा हमारे द्वारा जैसे पवित्र शास्त्र में आया है आहे भर भरकर प्रार्थना करें अर्थात हम भी भारी हृदय से, बोझ के साथ और अपने भीतरी हृदय से आंसुओं के साथ प्रार्थना करें। प्रार्थना में अधिक समय तक बैठने का प्रयास करें एवं पवित्र आत्मा का इंतजार करें कि वह आपके देह, प्राण और आत्मा में कब्जा करे। मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार विनती करता है किन्तु पवित्र आत्मा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आपके लिये विनती करता है, यह कितनी महान बात है, अपने जीवन में इस पवित्र अनुभव को आने दें। मनों का जाॅचने वाला अंतरयामी है, वह जानता है कि आत्मा की क्या मनसा है और पवित्र आत्मा भी परमेश्वर की इच्छा को जानता है।
                          इस संसार में आप पवित्र आत्मा के लिये रास्ता बने कि वह आपके द्वारा मध्यस्थता करे और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार विनती करे। यदि मसीही लोग प्रार्थना में नहीं बैठते हैं तो पवित्र आत्मा को प्रार्थना करने का अवसर नहीं मिल पाता है अर्थात पवित्र आत्मा पिता के इच्छा के अनुसार विनती नहीं कर पायेगा। इस संसार में पवित्र आत्मा को कार्य करने के लिये आपकी जरूरत है, आपके बिना पवित्र आत्मा कार्य नहीं कर पाता है। यदि आप प्रार्थना में बैठते हैं तो निश्चित तौर पर पवित्र आत्मा आपकी सहायता करता है और स्वयं भी आपके लिये प्रार्थना करता है, पवित्र आत्मा आपकी कमजोरी, बीमारी, निर्बलता को जानता है वह सब दूर करने वाला है, सारी सामथ्र्य पवित्र आत्मा के पास है किन्तु वह आपके द्वारा प्रगट करता है। चाहे आप परमेश्वर के वचन का अध्ययन करें या प्रार्थना करे हर वक्त पवित्र आत्मा आपके साथ है। अपने जीवन में पवित्र आत्मा को प्राथमिकता दें। जब मैं यह लेख लिख रहा हूं, मैं विश्वास करता हूं कि मेरे साथ पवित्र आत्मा है और मेरा मार्गदर्शन कर रहे।
प्रार्थना ही एक ऐसा सशक्त मार्ग है जिसके द्वारा पवित्र आत्मा आपके जीवन के माध्यम से मध्यस्थता करता है अर्थात पिता की इच्छा को प्रगट करता है।

“हे मेरे बालकों जब तक तुम में मसीह का रूप न बन जाएए तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्चा की सी पीड़ाएं सहता हूं।  यहां संत पौलूस कहते हैं कि मैं तुम्हारे लिये फिर जच्चा की सी पीड़ाएं सहता हूं।” (गलातियो 04ः19)

संत पौलूस के हृदय में जो बोझ है वह यह है कि गलातियों की कलीसिया के लोग मसीह का रूप या स्वभाव सा बने, इस बात के लिये वह हर संभव प्रयास करता है और प्रार्थना में वह प्रसव जैसे वेदना को सहता है इस कारण पवित्र आत्मा भी अपने दास संत पौलूस को इस्तेमाल एवं सहायता भी किया। यदि आज हम भी इसी वेदना के साथ भारी मन से प्रार्थना करें तो पवित्र आत्मा आज भी हमारे द्वारा अपने सामथ्र्य के कार्य को प्रगट करेगा।

‘‘हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थनाए और विनती करते रहो और इसी लिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो”(इफिसियो 06ः18 )

           यहां पर भी परमेश्वर का वचन हमें सीखाता है कि हम पवित्र आत्मा की सहायता से प्रार्थना और विनती करें। मेरे प्रियों आप जब भी प्रार्थना में बैठते हैं चाहे कलीसिया में, परिवार में, व्यक्तिगत प्रार्थना में पवित्र आत्मा की सहायता से जरूर प्रार्थना करें। पवित्र आत्मा चाहता है आपके साथ और आपके द्वारा प्रार्थना करना इसलिये पवित्र आत्मा को अवसर दें।

दूसरा रास्ता – हमारे मन को नया करता है और प्रकाशित करता है।

जिसमें पवित्र आत्मा हमारी सहायता करता है और हमारे दिमाग को प्रकाशित करता है। वह इस तरह केवल प्रार्थना ही नहीं करता परंतु हमें हमारे दिमाग में दिखाता है कि हमे किस बात के लिये और किस तरह से प्रार्थना करना है।

‘‘इस संसार के सदृश्य न बनो, परंतु तुम्हारे मन के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और भावती और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।” (रोमियो 12ः02)

        मेरे प्रियों परमेश्वर का वचन हमे सीखता है कि इस वर्तमान संसार के समान न बने। हमारी जीवनशैली इस बुरे संसार के लोगो जैसा न होने पाए। आपको ध्यान से देखने की जरूरत है कि आपका रूख, विचार, भावनाएं, इच्छा और कार्य जो कि इन सब पर बुद्धि का नियंत्रण होता है, संसार के अनुसार है या परमेश्वर के वचन के अनुसार। जब हम प्रभु पर विश्वास करते हैं तो प्रभु का आत्मा हमारी बुद्धि को भी बदलते जाता है और नया करता है। जैसे-जैसे बुद्धि नयी होते जाती है, परमेश्वर के वचन, प्रार्थना और संगती के आत्मिक निवेष (investment ) के द्वारा जीवनशैली भी परिवर्तीत हो जाती है। हमारा मन जो परमेश्वर के वचन और आत्मा के द्वारा नया हुआ है, इसी नवीकृत मन के द्वारा पवित्र आत्मा प्रार्थना करवाता है और हम और अधिक मसीह की समानता में बदलते जाते हैं। एक बार बस आप इच्छा करिये पवित्र आत्मा आपके द्वारा प्रार्थना करने के लिये सक्रिय हो जाता है।

तीसरा रास्ता – हमारे मुॅह में अप्रत्याशित रूप से सही शब्द डालता है।

                                 पवित्र आत्मा जब हम प्रार्थना करते हैं तो कभी-कभी अप्रत्याशित रूप से सही शब्दों को हमारे मुॅह में डाल देता है। मैं एक बार पास्टर डेरिक प्रिंस की गवाही पढ़ रहा था। वे कहते हैं कि अक्टूबर महीने के आखिरी दिनों में वे डेन मार्क में थे, जो कि उनका मूल देश था। वे लोग अगले ही दिन ब्रिटेन में पूरा नवंबर का महीना बिताने जाने वाले थे। वे ब्रिटिश के रहने वाले है इसलिये वे जानते थे कि ब्रिटेन में नवंबर का महीना बहुत ही ठंडा ओस से ढका हुआ धुॅधला रहता है। ब्रिटेन जाने से एक दिन पहले, जब वे लोग प्रार्थना कर रहे थे, तो उनकी पत्नी लिण्डा को यह कहते सुना- परमेश्वर हम जितनी भी देर ब्रिटेन में रहे, हमें अच्छा मौसम दें। पास्टर डेरिक प्रिंस ने उनकी पत्नी से पूछा कि क्या वह जातनती है कि उसने क्या प्रार्थना की ? उनकी पत्नी ने उत्तर दिया कि – नहीं, उसे याद नहीं।’’ यह उनके लिये निश्चित प्रमाण था कि यह पवित्र आत्मा ही का कार्य है। फिर पास्टर जी ने उनकी पत्नी को बताया कि तुमने परमेश्वर से यह प्रार्थना किया कि जब तक हम ब्रिटेन में रहे तब तक हमें अच्छा मौसम दें और क्या तुम जानते हो ब्रिटने में नवंबर का महीना कैसा होता है उसने अनभिज्ञता जताते हुये अपने कंधो को उचकाया। फिर उन्होने पूरा एक महीना ब्रिटेन में बिताया और उन्होंने एक भी नमी से भरा दिन या ठंडी रात का सामना नहीं किया, तब मौसम बिल्कुल शांत जैसा था।
                             वे लोग नवंबर महीने के आखिरी में वापस जाने को तैयार हुए तो उन्होने वहां के लोगो से जो हवाई अड्डे तक छोड़ने आये थे कहा कि ‘‘देखते रहना, जैसे ही वे लोग वहां से चले जाएंगे, तब मौसम बदल जाएगा वाकई में वैसा हुआ भी । वह ऐसी प्रार्थना थी जिसे पवित्र आत्मा ने उनकी पत्नी के मुॅह में डाला था और यह वही प्रार्थना थी जो परमेश्वर चाहता था कि उनकी पत्नी उस समय करे। परमेश्वर का वचन भी सिखाता है कि पवित्र आत्मा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हमारे द्वारा प्रार्थना करता है।
                            एक और भाई घना कुर्रे, रायपुर (छत्तिसगढ़) की भी एक जीवित गवाही है जो कुछ समय पहले की है। उनके सेवकाई के दौरान एक 60 वर्षीय व्यक्ति उनके पास इस विषय के लिये प्रार्थना करवाने आये थे कि उनकी किडनी खराब हो गई थी, जबकि उस 60 वर्षीय व्यक्ति की एक किडनी 30 वर्ष की उम्र में ही खराब होने के कारण निकाल दी गई थी, तब से वह व्यक्ति एक किडनी पर जी रहा था। समय गुजरता चला गया और 60 वर्ष की उम्र में दूसरी किडनी भी खराब होने की अवस्था में पहुंच गया। यह व्यक्ति अपने जीवन में बहुत परेशान और निराशा से गुजर रहे थे। जब पास्टर घना कुर्रे उनसे मिले तब उन्होंने अपने जीवन की पूरी आपबीती बताई। भाई घना कुर्रे द्वारा परमेश्वर के वचन के अनुसार इस व्यक्ति को हौसला दिया गया और जब पास्टर घना कुर्रे द्वारा इस व्यक्ति के लिये प्रार्थना की गई तो, उन्होंने प्रार्थना किया कि प्रभु यीशु मसीह इस 60 वर्षीय व्यक्ति की दोनो किडनी नया हो जाए। प्रार्थना के कुछ समय बाद यह व्यक्ति जो किडनी से परेशान थे जिस डॉक्टर के पास ईलाज चल रहा था उनके पास गये और चेक कराया तो पता चला कि आश्चर्यजनक रीति से दोनो किडनी नयी हो चुकी थी। डॉक्टर भी आश्चर्य में थे, कि ये हुआ कैसे ? पुरानी रिपोर्ट और नये रिपोर्ट में जमीन आसमान का अंतर था। पास्टर घना कुर्रे कहते हैं कि मुझे पता था कि इस व्यक्ति की एक ही किडनी है किन्तु मेरे मुॅंह से प्रार्थना के समय दोनो किडनी नया हो जाये गलती से निकल गया। मेरे प्रियों मैं बताना चाहता हूं कि पवित्र आत्मा ही है जो हमारे मुॅह में अप्रत्याशित रूप से सही शब्द डाल देते हैं और शब्दों के अनुसार होता भी है, जैसे भाई घना कुर्रे के मुॅह में पवित्र आत्मा ने डाला।

चौथा रास्ता – अन्य भाषा के द्वारा प्रार्थना करवाता है।

जिसमें पवित्र आत्मा प्रार्थना में हमारी सहायता करता है, जो कि नए नियम के कई स्थानो पर दर्शित है। वह हमें अन्य भाषा देता है।
‘‘क्योंकि जो अन्य भाषा में बातें करता है वह मनुष्यों से नहीं परन्तु परमेश्वर से बातें करता है, इसलिये कि उसकी बातें कोई नहीं समझता, क्योंकि वह भेद की बातें आत्मा में होकर बोलता है।” (01 कुरिन्थियों 14ः2)
          इसी अध्याय के चौथे आयत में पौलूस कहता है ‘‘जो अन्य भाषा में बात करता है, वह अपनी ही उन्नती करता है।” इस प्रकार हम वचन से सीखते हैं कि जो कोई अन्य भाषा में प्रार्थना करता है उसे स्वयं अन्य भाषा में प्रार्थना करने वाला और अन्य मनुष्य भी नहीं समझता किन्तु परमेश्वर समझता है। वह भेद की बात परमेश्वर से करता है। वह अपनी ही उन्नती करता है। इसलिये हमें अन्य भाषा में प्रार्थना करने के लिये परमेश्वर से अन्य भाषा का वरदान मांगना चाहिये ताकि पवित्र आत्मा हमारे द्वारा परमेश्वर से प्रार्थना करे।

‘‘इसलिये यदि मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करूं, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती है परन्तु मेरी बुद्धि काम नहीं देती। अतः क्या करना चाहिये ? मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूंगा और बुद्धि से भी प्रार्थना करूंगा, मैं आत्मा से भी गाऊंगा, और बुद्धि से भी गाऊंगा।” (01 कुरिन्थियों 14ः14-15)

अर्थात प्रार्थना की दोनो रीति प्रभावकारी है हमें बुद्धि से भी प्रार्थना करना है और आत्मा से भी प्रार्थना करना है।
आमीन। 

इन्हे भी पढ़े – https://masihjeevan.com/index.php/2023/05/01/anugrah-kaise-prapt-kare/

 

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