मेरे प्रियों यदि आप एक नजर में यीशु मसीह के जीवन के बारे में जानना चाहते हैं कि कहां कितना समय बीता, प्रभु यीशु मसीह ने क्या-क्या कार्य किया तो आगे पढ़ना जारी रखें:-
01. देह धारण से पहले भी यीशु था।
देह धारण से पूर्व परमेश्वर के रूप में यीशु सदा से अस्तित्व में है। वह अन्य सभी वस्तुओं से पहले विद्यमान है। यदि आप कुलुस्सियों की पत्री 01 अध्याय 15 से 17 आयात में पढ़ते हैं तो वहां पर परमेश्वर का वचन कहता है वह अदृष्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है, क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई है। वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
इस वचन का अर्थ – यदि हम पुराने नियम में पहिलौठा का अर्थ देखते हैं तो ‘‘पहले स्थान पर’’ या सर्वोपरि और सर्वोच्च होता है। अर्थात यीशु सर्वोच्च और सर्वोपरि है। यीशु मसीह के द्वारा ही परमेश्वर ने सारी वस्तुओं की सृष्टि की। यीशु पहले से ही परमेश्वर के साथ एक आत्मिक सदस्य के रूप में विद्यमान था जो स्वर्ग की और पृथ्वी की भी वस्तुओं की रचना की है।
02. कुंवारी से जन्म लेना।
यदि आप पवित्र शास्त्र बाईबल में मत्ती एवं लूका की किताब का अध्ययन करते हैं तो मत्ती के 01 अध्याय एवं लूका के 02 अध्याय में कुंवारी मरियम से प्रभु यीशु मसीह के जन्म लेने का वर्णन पाते हैं। बाईबल बताती है मरियम की मंगनी जब युसूफ के साथ हो चुकी, तब उनके इकट्ठे होने के पहले ही पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती हुई और युसूफ को स्वर्गदूत ने स्वप्न में दिखाई देकर कहा कि वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती है और वह पुत्र जनेगी और उसका नाम यीशु रखना, क्योकि वह अपने लोंगो का उनके पापो से उद्धार करेगा।
03. आठवे दिन यीशु का खतना हुआ।
यदि आप लूका रचित सुमाचार के अध्याय 02 का अध्ययन करते हैं तो वहां पर आठ दिन पूरे होने के पश्चात यीशु मसीह का नामकरण और खतना किये जाने का वर्णन पाते हैं जो व्यवस्था के अनुसार है।
खतने का अर्थ:- वह प्रथम व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने खतने की आज्ञा दी थी वह अब्राहम था। परमेश्वर ने अब्राहम से वाचा बांधी थी कि मैं तेरा परमेश्वर होऊंगा, और तेरे वंश को अत्यन्त ही बढ़ाऊंगा, उसके लोग मेरे अपने लोग होंगे और मैं उन्हें रहने के लिये कनान देश दूंगा। इस वाचा का चिन्ह खतना था
(उत्प. 17ः1-11)। खतना एक छोटी शल्य चिकित्सा है जिसमें बालकों के षिष्न के अग्रभाग की चमड़ी काट कर अलग कर दी जाती है।
खतना शरीर में स्थाई चिन्ह होता है इसलिये वह परमेश्वर के वाचा में स्थाई रूप से बने रहने का प्रतीक है। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि तू और तेरा घराना तथा भविष्य में तेरे आने वाले वंषज यदि ‘‘खतना’’ की विधि का वाचा अनुसार पालन करेंगे तो वे परमेश्वर के लोग बने रहेंगे। इसी विधि के अनुसार यीशु मसीह का भी खतना किया गया था, किन्तु अब खतना की आवश्यकता नहीं है क्योंकि परमेश्वर की सारी प्रतीज्ञाएं प्रभु यीशु में पूरी हुई है। अब प्रभु यीशु मसीह में विश्वास करने पर उद्धार है।
04. 12 वर्ष की उम्र में मंदिर जाना।
मेरे प्रियों (
लूका 02ः41-42) बाईबल बताती है कि यीशु मसीह के माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम जाया करते थे, किन्तु जब यीशु बारह वर्ष का हुआ तब यीशु अपने माता-पिता के साथ यरूशलेम मंदिर को गया। बारह वर्ष से पूर्व मंदिर जाने के विषय में बाईबल नहीं बताती है। बारह वर्ष की आयु इस योग्य हो गई थी कि वह यहोवा परमेश्वर का दास बनना आरम्भ कर सके। बारह वर्ष तक परमेश्वर ने यीशु को सिखाया था और वह मंदिर में उपदेशकों से ऐसी बात किया कि वे लोग चकित थे क्योंकि ऐसी बात उन्होंने कभी नहीं सुनी थी।
05. बढ़ई के रूप में जीवन बिताना।
यीशु मसीह ने जीवन के आरम्भ के वर्ष में जब सेवकाई प्रारम्भ नहीं किये थे तब नासरत नगर में बढ़ई के रूप में जीवन बिताया। यह धन्धा वह अपने पिता से सीखा था। जब यीशु गिरासेनियों के देष से दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति को चंगा करके, बारह वर्ष से लहू बहने के रोग से ग्रसित स्त्री को चंगा करके और याईर की मृत पुत्री को जिंदा करके अपने देष में वापस आया तब वहां के लोग यीशु द्वारा किये गये सामर्थ्य के काम, दिये गये उपदेष पर विश्वास नहीं किया और कहने लगे क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब, योसेस, यहूदा और शमौन का भाई है ? (
मरकुस 06ः03)
06. यीशु के प्रारम्भिक सेवकाई के स्थान।
यीशु ने अपनी प्रारम्भिक सेवा यहूदिया, सामरिया और गलील के प्रदेशों में आरम्भ की। अन्द्रियास, अन्द्रियास का भाई पतरस, जब्दी का पुत्र याकूब, और याकूब का भाई यूहन्ना एवं फिलिप्पुस ये सब गलील प्रदेष के बैतसैदा गांव से थे। संभवतः ये सब प्रभु यीशु मसीह के प्रारम्भिक सेवकाई में ही आये थे।
07. यीशु का पहला आश्चर्यकर्म।
यीशु का पहला आश्चर्यकर्म का विवरण हम यूहन्ना के 02 अध्यय में पढ़ते हैं। जब गलील प्रदेश के काना नगर में जहां से यीशु का चेला बरतुल्मै भी था। वहां शादी थी और यीशु की माता पहले से वहां गई थी। यीशु और उसके चेले भी उस शादी में निमन्त्रित थे। कुछ इस प्रकार हुआ कि वहां दाखरस कम पड़ गया। जब दाखरस कम पड़ गया तो समस्या हो गई क्योंकि और भी मेहमान थे। वहां पर यहूदियों के शुद्धिकरण के लिये पत्थर के छः मटके रखे थे। प्रत्येक मटके में सौ, सवां-सौ लीटर पानी समाता था। यीशु ने सेवकों से कहां मटको में पानी भर दो। उन्होंने मटकों में लबालब पानी भर दिया, तत्पष्चात यीशु ने कहां भोज के प्रबंधक को चखाओ। पानी दाखरस बन गया था। यह यीशु का पहला चमत्कार था और यीशु ने अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलो ने उस पर विश्वास किया।
08. यीशु मसीह के सेवकोई क्षेत्र ।
यीशु मसीह के सेवकोई क्षेत्र का मुख्यालय मुख्यतः कफरनहूम था। इसके साथ गलील एवं गलील के आस-पास के क्षेत्र, फिनीके, बैतसैदा, कैसरिया, फिलिप्पी की यात्रा कर स्वर्ग राज्य का प्रचार, अनेक आश्चर्यकर्म, बीमारों को चंगा किया।
09. यीशु मसीह का अन्तिम भोज, गतसमनी में प्रार्थना, मुकदमा चलना और क्रूस पर मृत्यु के विषय में
यीशु मसीह का अन्तिम भोज, गतसमनी में प्रार्थना, मुकदमा चलना और क्रूस पर मृत्यु के विषय में हम मत्ती 27 अध्याय, लूका 23 अध्याय में हम पढ़ते है।
10. भविष्यद्वाणी के अनुसार, तीसरे दिन यीशु मृतकों में से जी उठा।
11. पुनरूत्थान के चालीस दिन बाद वह सबके देखते देखते शरीर के साथ स्वर्ग पर उठा लिया गया।
(प्रेरितों के काम 01ः09-11) “यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरूष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा॥”
यीशु मसीह हमारे लिये आदर्श छोड़ गये हैं जिस पर हमें चलना है। परमेश्वर आपको आशीष दे।
आमीन।