विश्वाशी के लिए सामर्थ का सिद्धांत | Vishwashi Ke Liye Samarth Ka Siddhant
November 6, 2024
एक मसीही, परमेश्वर के महान सामर्थ के सिद्धांत को समझ सके और वर्तमान आधुनिक युग में सामर्थ के प्रगटीकरण के लिये तैयार हो सके इस कारण पवित्र आत्मा ने पौलुस के द्वारा प्रार्थना की जो (इफिसियों 1ः16-19) में दिया गया है।
‘‘तुम्हारे लिये धन्यवाद करना नहीं छोड़ता, और अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हे स्मरण किया करता हूं कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी पहचान में ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे, और तुम्हारे मन की आखें ज्योतिर्मय हो कि तुम जान लो कि उसकी बुलाहट की आशा क्या है, और पवित्र लोगों में उसकी मीरास की महिमा का धन कैसा है और उसकी सामर्थ हम में जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है”……..।
एक वास्तविक हृदय परिवर्तन इस बात से पता चलता है कि उसका यीशु मसीह पर सच्चा विश्वास है एवं विशेषकर मसीही लोगों के लिये हृदय से प्रेम है। यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में यह बात पाई जाती है तो उसका वास्तविक रूप से हृदय परिवर्तन हो चुका है जिसकी प्रशंसा पौलुस भी करते हैं (इफिसियो 1ः15 – इस कारण, मैं भी उस विश्वास का समाचार सुनकर जो तुम लोगों में प्रभु यीशु पर है और सब पवित्र लोगों पर प्रगट है। तुम्हारे लिये धन्यवाद करना नहीं छोड़ता, और अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूं।)
पौलुस इफिसुस के विश्वासी लोगों के लिये जिनका वास्तविक रूप से हृदय परिवर्तन हुआ था, ज्ञान और प्रकाश की आत्मा मांगता है ताकि वे लोग परमेश्वर को समीपता और व्यक्तिगत रूप से जान सके, उसके गुणों को और इच्छओं को जान सके और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन यापन करें। मेरे भाईयो बहनो हमें भी इस बात के लिये प्रार्थना करना चाहिये। मनोविज्ञान कहता है मनुष्य अपने आप को जाने परंतु बाईबल कहती है हम मसीह में परमेश्वर को जाने।
तुम्हारे मन की आंखे ज्योतिर्मय हो अर्थात मनुष्य की आत्मा ज्ञानसपन्न हो ताकि परमेश्वर की योजना और उद्देश्य को समझ सके। आंख जो कुछ शरीर के लिये है अर्थात शरीर के लिये देखने का कार्य करती है वैसे ही मनुष्य की आत्मा भीतरी मनुष्यतत्व के लिये है। बाईबल बताती है (1 कुरिन्थियों 2ः11-12)
“मनुष्य में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है ? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा, परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है जो परमेश्वर की ओर से है कि हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं”।
मेरे प्रिय भाई बहनो अब मैं आपको परमेश्वर के वचन से तीन सत्यों से परिचय कराना चाहता हूं जो आपको जानना बहुत जरूरी है।
पहला सत्य है कि परमेश्वर ने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले मसीह में चुन लिया है कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों (इफिसियो 1ः4 – जैसा उस ने हमें जगत की उत्पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों।)
हमारे जीवन में परमेश्वर का उद्देश्य और अनुग्रह सनातन से मसीह यीशु में है (2 तीमुथियुस 1ः9 – जिसने हमारा उद्धार किया और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर उसके उद्देश्य और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है ) अर्थात हम मसीह में यो ही नहीं है, हमारे जीवन के लिये परमेश्वर का उद्देश्य एवं कार्य है, जिसे समझकर वही कार्य जीवनभर करते रहे। अब जब परमेश्वर ने सनातन से अर्थात भूतकाल से हमे नियुक्त करके हमारा उ़द्धार किया है तो मसीह में हमारी आशा निश्चित रूप से विजयी एवं पूर्ण होगी, हम अपनी आशा से कभी भी लज्जित नहीं होंगे क्योंकि हमारा प्रतिज्ञा करने वाला सच्चा एवं विश्वासयोग्य है।
दूसरा सत्य जिसे पौलुस चाहता था कि विश्वासी जाने कि पवित्र लोगो में उसकी मीरास की महिमा का धन कैसा है, मीरास का अर्थ आशीष या संपत्ति या विरासत की संपत्ति से है। अर्थात परमेश्वर के द्वारा हम चुने हुये लोग जो मसीही कहलाते हैं भविष्य में हमारे लिये जो आशीष की प्रतिज्ञा की गई है वह कितनी समृद्ध एवं महिमामयी है इस सच्चाई को समझने के लिये परमेश्वर हमारे दिमाग को खोल दे। परमेश्वर ने यह कार्य हमारे भविष्य काल के लिये किया है।
तीसरा सत्य जो वर्तमान काल से संबंधित है इसे भी पौलुस चाहता था कि विश्वासी जाने कि उसकी सामर्थ हम में जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है। अर्थात परमेश्वर ने हमे मसीह में वर्तमान समय के लिये असीम सामर्थ दिया है जिससे शक्ति उत्पन्न होती है एवं हर एक अवरोधों को जीतती है और दुष्टआत्मा के काम को नाश करती है। हम जो यीशु मसीह पर विश्वास करते है, जिस सामर्थ का उपयोग परमेश्वर ने मसीह को इस संसार में मरे हुओ में से जिलाकर किया वही सामर्थ हमारे लिये भी वर्तमान में उपलब्ध है और यीशु मसीह ही हमारे लिये सामर्थ के स्त्रोत है।
यीशु मसीह हमारे लिये सामर्थ के स्त्रोत इसलिये है क्योंकि सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर, जो न केवल इस युग में अर्थात वर्तमान संसार में बल्कि आने वाले युग भी लिया जायेगा बैठाया और सब कुछ उसके पाॅवों तले कर दिया और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया।
कलीसिया अर्थात प्रत्येक वह भाई और बहन जो प्रभु यीशु पर विश्वास करता है अब इस वचन का दावा करके हर एक परिस्थितियों और वस्तुओं को नियंत्रित एवं दुष्टआत्मा के काम को नाश कर सकता है और बहुत से लोग इस सामर्थ के काम को कर भी रहे हैं, क्योंकि हमारा सिर मसीह है और हम उसकी देह है। प्रभु यीशु मसीह अपने देह के हर एक कमी घटी हो पूर्ण करता है। जब तक देह अपने सिर अर्थात मसीह से जुड़ा है वह सामर्थ के काम को प्रगट करता है क्योंकि ऐसे काम इस संसार में पवित्र आत्मा उनके द्वारा करता है। अब हमें किसी भी दुष्टात्मा के प्रभाव, बड़ी से बड़ी बीमारी या कोई भी विपरित परिस्थितियों से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारा प्रभु यीशु सबके ऊपर शिरोमणि है, और प्रभु यीशु हमको दिया गया है।
अब हमें प्रभु यीशु से प्रार्थना के बजाय परमेश्वर के वचन के साथ एक मन होकर यीशु के नाम से आदेश देना है और हर विपरित परिस्थिति, दुःख, क्लेश, बीमारी, दुष्टात्मा के प्रभाव को बाहर करना है। यही सत्य को जाने इसलिये पौलुस के द्वारा पवित्र आत्मा ने प्रार्थना करवाया हैं। मेरे भाईयो, बहनो हम नियमित रूप से प्रार्थना करें कि हमे परमेश्वर ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे और मन की आँखें ज्योतिर्मय हो जाये और हमारा विश्वास पहाड़ को हटा देने जैसे दृढ़ हो।
आमीन।