मसीह में भक्ति का जीवन | Masih Me Bhakti Ka Jeevan

Bro. Deva

यह वेबसाइट आत्मिक जीवन एवं परमेश्वर के सामर्थ में बढ़ने, आलौकिक एवं जयवन्त मसीह जीवन जीने, परमेश्वर के वचन को सरलता एवं गहराई से समझने में मदद करेगी। यदि आप परमेश्वर, प्रभु यीशु मसीह के वचन को समझने के लिये भूखे और प्यासे हैं तो मेरा विश्वास है कि यह वेबसाईट आपके लिये सहायक सिद्ध होगी।

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मसीह में भक्ति का जीवन

मसीह में भक्ति का जीवन कैसे जिए ?

मेरे प्रियों, मसीह में भक्ति का जीवन हमें जीना है, क्योंकि इस समय अर्थात वर्तमान युग और आने वाले जीवन की प्रतिज्ञा भी इसी के लिये है। यदि हम प्रभु पर विश्वास करते हैं और भक्ति का जीवन नहीं जीते या नहीं जीना चाहते तो आपका विश्वास यर्थात नहीं है और आपकी आशा भी अधुरी है। परमेश्वर का अंतिम लक्ष्य या उद्देश्य मानव जाति का उद्धार कर अनन्त जीवन को देना है, यदि आपने प्रभु यीशु पर विश्वास किया है और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया और अनन्त जीवन को नहीं पाया तो विश्वास करना व्यर्थ हुआ। हमें अपने जीवन भर अपने अपने उद्धार के काम को पूरा करते जाना है, इसलिये हमें भक्ति का जीवन जीना है। हम संसार से सच्ची भक्ति का जीवन नहीं सीख सकते क्योंकि संसार में आंखों की अभिलाषा, शरीर की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड है।

मेरे प्रियों, “यीशु मसीह अपने देह के रहने के दिनों में ऊंचे स्वर से पुकार-पुकार कर और आंसू बहा-बहा कर प्रार्थना और विनती की और प्रभु की भक्ति के कारण उसकी सुनी गई” (इब्रानियों 5ः7)

यीशु प्रभु भी अपने देह के रहने के दिनों में भक्ति का जीवन बिताये। मेरे प्रियों परमेश्वर का अनुग्रह जो हमारे जीवन में प्रगट है कि यीशु प्रभु के द्वारा हमें निर्दोष बना दिया है, यीशु के लहू के द्वारा शुद्ध किया और धर्मी बनाया है, यह अनुग्रह हमें चेतावनी देता है कि हम अभक्ति से और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर संयम का अर्थात अनुशासन का, धर्म का और भक्ति का जीवन बिताएं, “और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्वारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा की प्रगट होने की बाट जोहते रहें” (तीतुस 02ः11-13)। यदि कोई प्रभु पर अटूट विश्वास करता है और प्रभु यीशु से सच्चा प्रेम करता है तो अपने जीवन में वह भक्ति का जीवन जीता है और प्रभु यीशु मसीह के आगमन की प्रतीक्षा करता है और अपने आप को पवित्र बनाता जाता है क्योंकि वह अपने प्रभु को दुःखी नहीं करना चाहता।

परमेश्वर का वचन हमें सीखाता है कि उसकी ईश्वरीय सामर्थ्य ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से संबंध रखता है, हमें उसी के पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपने ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है(02 पतरस 01ः03)

अर्थात परमेश्वर पिता का प्रेम, प्रभु यीशु मसीह के द्वारा उद्धार, पवित्र आत्मा का बपतिस्मा, प्रभु के द्वारा स्वर्ग में हमारे लिये विनती किया जाना और परमेश्वर का जीवित एवं महान वचन हमें भक्ति करना सीखाता है। हमें परमेश्वर की भक्ति कैसे करनी है, कैसे धन्यवाद देना है, कैसी आराधना करना है ये सब हमें परमेश्वर का वचन और पवित्र आत्मा सीखाता है। मेरे प्रियों अपने जीवन के हर पहलू में पवित्र आत्मा को पहला स्थान और परमेश्वर के वचन को अधिकाई से अपने हृदय में बसने दें ताकि सच्ची भक्ति करना सीख सके। परमेश्वर हमसे वही आशा रखते हैं जिसे हम कर सकते है, हमारा परमेश्वर न्यायी परमेश्वर है।

मसीह में भक्ति का जीवन

मेरे भाईयों बहनों हम भी पहले निर्बुद्धि अर्थात मूर्ख, नासमझ थे कोई आत्मिक समझ नहीं थी, भक्ति का जीवन नहीं था और आज्ञा न मानने वाले अर्थात समर्पण का जीवन नहीं था और भ्रम में पड़े हुये अर्थात सत्य का ज्ञान नहीं था और विभिन्न प्रकार की अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्व में थे अर्थात मन की पाप पूर्ण इच्छाओं और अभिलाषाओं को पूरी करते थे, मन के विचार जो गलत होने के बावजूद भी पूरा करते थे और बैरभाव और डाह करने में जीवन व्यतीत करते थे अर्थात दुष्टता का जीवन और दूसरे जलन रखने का जीवन था और घृणित काम जैसे व्याभिचार, लड़ाई झगड़ा, दूसरे को नीचा दिखाना, अपने आप को हर समय कठोरता से सही साबित करना और अन्य अन्य काम करते थे और एक दूसरे से बैर रखते थे पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा और मनुष्यों पर उसका प्रेम प्रगट हुआ तो उसने हमारा उद्धार किया, और यह धर्म के कामों के द्वारा नहीं, जो हमने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार नए जन्म के स्नान और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ, जिसे उसने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला अर्थात पवित्र आत्मा को। अब यदि परमेश्वर हमसे भक्ति का जीवन जीने की मांग करता है तो हमारा परमेश्वर न्यायी है जो सही मांग करते हैं।

पवित्र शास्त्र हमें सिखाता है कि “हम अशुद्ध बकवाद से बचे रहें, क्योंकि ऐसे लोग और अभक्ति में बढ़ते जाते हैं और उनकी बाते सढ़े घाव की तरह फैलते जाता है” (02 तीमुथियुस 02ः16)

मेरे प्रियों बाईबिल बताती है “संतोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है (01 तिमुथियुस 06ः06)। हमारी भक्ति किसी भी परिस्थिति या वस्तु पर निर्भर न हो परंतु हर परिस्थितियों में भीतरी मनुष्यत्व से भक्ति करना वास्तव में एक बड़ी कमाई है। बाईबल बताती है कि “जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे” (02 तीमुथियुस 03ः12) हां मेरे प्रियों यदि हम भक्ति का जीवन बिताते हैं तो हमारा सताव होगा चाहे सामाजिक तौर पर हो, समुदाय में हो, रिष्तेदारों द्वारा हो, घराने द्वारा हो या दोस्तो के द्वारा हो हमें सताव को सहना है और सताव ही प्रदर्षित करता है कि आप मसीह में भक्ति का जीवन जी रहे हैं, किन्तु भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतीज्ञा इसी के लिये है।

आमीन।

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