Masih Jeevan

यीशु मसीह की पहिचान एवं सामर्थ्य में बढ़ने के लिये सहायता

क्या है यीशु मसीह का ईश्वरत्व | Kya Hai Yeshu Masih Ka Ishwaratv

यीशु मसीह का ईश्वरत्व
मेरे प्रिय भाई और बहनों यीशु मसीह पूर्ण वास्तविक मनुष्य भी था और पूर्ण वास्तविक ईश्वर भी था न कि मनुष्य और ईश्वर का मिश्रण। आगे के लेख हम यीशु मसीह पूर्ण मनुष्य भी है के विषय में अध्ययन करेंगे। इस लेख में हम यीशु मसीह के ईश्वरत्व के विषय में जानेंगे। मेरे प्रियों उद्धार के लिये हमें यीशु मसीह को परमेश्वर के रूप में ग्रहण करना अति आवश्यक है।
         यदि आप रोमियो 10ः09 ‘‘ कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।’’ परमेश्वर के इस वचन के अनुसार हमने यीशु को प्रभु जानकार अर्थात परमेश्वर जानकार अंगीकार किया है न कि कोई भला मनुष्य जानकार अंगीकार किया है। यीशु मसीह का परमेश्वर होने से इनकार करना, मानव जाति को एक उद्धारकर्ता से वंचित करना और स्वयं को अनन्तकाल तक के लिये दोषी ठहराना है। जो कोई व्यक्तिगत रूप से यीशु मसीह को प्रभु अर्थात परमेश्वर जानकर अपने मुह से अंगीकार करेगा निश्चय उद्धार को प्राप्त करेगा।
              आईये हम यीशु मसीह परमेश्वर होने के दस विशिष्ट गुणों को देखते हैं जो परमेश्वर में ही विद्यमान होते हैं इससे आपको स्पष्ट हो जायेगा कि यीशु मसीह परमेश्वर है:-

01. अनादि काल से अनन्तकाल तक यीशु मसीह है।

परमेश्वर होने के लिये यह गुण होना चाहिये कि जिसका आरम्भ कब हुआ था यह पता न हो एवं जिसका अन्त न हो या अन्त कब होगा यह पता न हो। आपके मन में विचार आ रहा होगा कि यीशु का तो प्रारम्भ है, हां मनुष्य के रूप में यीशु का आरम्भ है किन्तु आत्मा में यीशु सनातन से है। आईये हम परमेश्वर के वचन में देखते हैं-
मीका 5ः02  ‘‘हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन अनादि काल से होता आया है।’’
यूहन्ना 08ः58  ‘‘यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि पहिले इसके कि इब्राहीम उत्पन्न हुआ मैं हूं|
कुलुस्सियों 1ः17 ‘‘और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।’’
प्रकाशित वाक्य 1:8  ‘‘प्रभु परमेश्वर वह जो है, और जो था, और जो आने वाला है; जो सर्वशक्तिमान है: यह कहता है, कि मैं ही अल्फा और ओमेगा हूं॥’’
ऊपर लिखे सभी वचन से स्पष्ट है कि यीशु मसीह प्राचीन काल से है। यीशु ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है अब्राहम के पहले वह था। यीशु मसीह ही सब वस्तुओं में प्रथम है चाहे वह स्वर्ग की हो या फिर पृथ्वी की। यीशु मसीह अनादिकाल से है। प्रभु परमेश्वर पुनरूत्थान के बाद पिता के दाहिने विराजमान है जो निश्चित तौर पर हमें लेने आने वाला है और हम उसके साथ युगानुयुग राज्य करेंगे।

02.यीशु मसीह अपरिवर्तनशील है।

यीशु मसीह कभी भी न बदलने वाला प्रभु परमेश्वर है। वह आज कल युगानुयुग एक सा परमेश्वर है।
इब्रानियों 13ः08  ‘‘यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है।
परमेश्वर होने के लिये हर समय एक सा रहना आवश्यक है और यीशु मसीह कभी भी अपने वायदो से नहीं मुकरने वाला प्रभु है। वह बदलने वाला परमेश्वर नहीं है।

03.यीशु मसीह सर्वशक्तिमान है।

यीशु सर्वशक्तिमान है। सर्वशक्तिमान होना एक अद्वितीय विशेषता है जो प्रभु परमेश्वर में ही है।
मत्ती 28ः18 ‘‘यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।’’
ऐसा दावा मनुष्य, स्वर्गदूत, या दुष्टात्माओं में से कोई नहीं कर सकता, किन्तु यीशु प्रभु ने अपने देह के रहने के दिनांे में यह दावा किया है।
लूका 08ः24 ‘‘तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा; हे स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जाते हैं: तब उस ने उठकर आन्धी को और पानी की लहरों को डांटा और वे थम गए, और चैन हो गया।
यीशु के पास प्रकृति को डांटने का अधिकार था इस आश्चर्य कार्य को देखने के बाद चेले डर गये अचम्भित हो गये थे कि यीशु के पास आंधी और पानी को डांटने का भी अधिकार है।

04.यीशु मसीह सर्वव्यापी है।

सर्वव्यापी का अर्थ है एक ही समय में सब जगह उपस्थित होना, और यह भी परमेश्वर का एक विशेष गुण है। यह गुण मनुष्य और स्वर्गदूतों में नहीं पाया जाता है। यीशु मसीह एक ही समय में सब जगह उपस्थित रहने का दावा किये हैं आईये नीचे लिखे वचनों से समझते हैं –
मत्ती 18ः20 ‘‘क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं॥
मत्ती 28ः20  “और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥
यीशु प्रभु के द्वारा बोले गये उक्त वचन को यदि आप ध्यानपूर्वक पढ़ते हैं तो आप समझ पायेंगे कि यीशु मसीह एक ही समय में सब जगह उपस्थित होने का वादा कर रहे हैं। यदि एक स्थान पर दो या तीन यीशु मसीह के नाम से इकट्ठे होते हैं तो वहां प्रभु उनके बीच में होते हैं और उसी समय दूसरे स्थान पर दो या तीन यीशु मसीह के नाम से इकट्ठे होते हैं तो वहां भी प्रभु यीशु मसीह उपस्थित होते हैं। इस प्रकार प्रभु यीशु सर्वव्यापाी हैं।

05.यीशु मसीह सर्वज्ञानी है।

सर्वज्ञानी का अर्थ है सब बातों का ज्ञान रखना। ये गुण भी परमेश्वर का एक विषेष गुण है।
मरकुस 11ः2-3 ‘‘कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पंहुचते ही एक गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई नहीं चढ़ा, बन्धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल लाओ। यदि तुम से कोई पूछे, यह क्यों करते हो? तो कहना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है; और वह शीघ्र उसे यहां भेज देगा।
यदि आप इस घटना को पढ़ेगें तो पाएगें कि यीशु मसीह को पहले से पता था कि सामने के गांव में एक गदही का बच्चा है और जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ है एवं गदही का स्वामी में गदही के बच्चे को यीशु के पास ले जाने में कोई ऐतराज नहीं करेगा। यीशु प्रभु और कई मौको पर भविष्यद्वाणी करते हैं जो सही हुये। यीशु प्रभु को अपनी मृत्यु के विषय में पहले से मालूम था। इसी तरह आप यूहन्ना 02ः24-25, लूका 5ः22, मत्ती 24ः3-31 पढ़ेगें तो यीशु मसीह के सर्वज्ञानी होने के विषय में जान पाएंगे।

06.यीशु मसीह पवित्र है।

यीशु मसीह मनुष्य के रूप में भी पूर्ण पवित्र है। पूर्व में हमने यीशु मसीह के कुंवारी से जन्म के महत्व वाले लेख में समझ पायें थे कि कैसे यीशु मसीह बिना पाप के इस संसार में मनुष्य के रूप में आये। यीशु मसीह का स्वभाव पाप रहित था।
                      आईये कुछ वचन पढ़ते है जिससे सिद्ध होता है कि यीशु मसीह अपने देह के दिनों में भी पवित्र थे –
मरकुस 01ः24 ‘‘उसने चिल्‍लाकर कहा, “हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नष्‍ट करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ, तू कौन है? परमेश्‍वर का पवित्र जन !”
इस वचन में अशुद्ध आत्मा यीशु को परमेश्वर का पवित्र जन कहती है। अर्थात दुष्टात्मा भी जानते थे कि यीशु परमेश्वर का पवित्र जन है।
01 पतरस 02ः22  ‘‘न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली।
यूहन्ना 19ः04 ‘‘तब पीलातुस ने फिर बाहर निकलकर लोगों से कहा, देखो, मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूं; ताकि तुम जानो कि मैं कुछ भी दोष नहीं पाता।
ऊपर लिखे वचन अनुसार पतरस भी इस बात की गवाही देते हैं कि यीशु निष्पाप था। पीलातुस भी यीशु में कोई दोष नहीं पाया। सबसे बड़ी बात यीशु निष्पाप और पवित्र था इस कारण परमेश्वर पिता यीशु का बलिदान ग्रहण किया और यीशु तीसरे दिन जी उठे।

07.यीशु मसीह सच्चा न्यायी है।

यीशु मसीह सच्चा न्यायी है। यदि आप यूहन्ना 05ः22, 27 में पढ़ते हैं तो पायेंगे कि परमेश्वर ने न्याय करने का सब काम पुत्र अर्थात यीशु को दे दिया है। सब लोग एक दिन मसीह के न्याय आसन के सामने खड़े होंगे और अपने अपने कामों के अनुसार प्रतिफल पायेंगे। यीशु सभी का धर्म से न्याय करेगा।
प्रेरितों के काम 17ः31 ‘‘क्योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है॥”
ऊपर लिखे वचन से भी प्रमाणित है कि यीशु सच्चा न्यायी है। वह धर्म से जगत का न्याय करेगा। यूहन्ना 02ः15-17 मे पढ़ेगे तो पायेंगे कि यीशु अपने देह के रहने के दिनों में यरूशलेम के मंदिर में बैल, भेड़ और कबूतर के बेचनेवालों और सर्राफो को परमेश्वर के मंदिर से बाहर कर दिया और कहा ‘‘इन्हें यहां से ले जाओ। मेरे पिता के घर को व्यापार का घर मत बनाओ। यीशु मसीह का यह कार्य भी सच्चे न्याय को प्रगट करता है।

08.यीशु मसीह प्रेममय प्रभु है।

यीशु प्रभु प्रेममय प्रभु है। यदि आप लाजर के मरने वाली घटना को पढ़ते है जो यूहन्ना 11 अध्याय में है। उस घटना के साक्षियों में जो यहूदी लोग थे जो यीशु का विरोध करते थे उन्होंने भी यूहन्ना 11ः36 में कहा कि ‘‘देखो, वह उससे कितना प्रेम रखता था। अर्थात लाजर से। वहां उपस्थित यहूदी भी प्रभु यीशु मसीह के प्रेममय स्वभाव को देखा था।
यूहन्ना 15ः13 ‘‘इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।”
ये वचन यीशु ने कहा, और कहा ही नहीं परंतु हम मनुष्य जाति के पापों के छुटकारा के लिये अपना प्राण भी दिया है। यीशु मसीह प्रेममय प्रभु है।

09.यीशु मसीह करूणामय है।

यीशु मसीह करूणामय प्रभु है अर्थात करूणा करने वाला। करूणा का अर्थ है यदि हम दूसरे के दुःख या तकलीफ या अन्य कोई भी समस्या या बीमारी हो को देखकर उसे दूर करने के भाव से स्वयं महसूस करने लगते हैं यही करूणा है। आप यदि मत्ती, मरकुस, लूका, यूहन्ना चारो सुसमाचार में यीशु के विषय अध्ययन करेंगे तो पायेंगे की यीशु लकवा के रोगी, कोढ़ के रोगी को, अंधो को आंखे देना, लंगड़ों को चलाना, भूखों को खिलाना, मुर्दो के जिंदा करने जैसे बड़े-बड़े आर्ष्य कर्म किये हैं यह यीशु का करूणामय स्वभाव है। आईये और एक वचन पढ़ते हैं –
तीतुस 03ः05 ‘‘तो उस ने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ।”
यीशु प्रभु की सबसे करूणामय स्वभाव यह है कि उसने आपके अर्थात मनुष्य जाति के उद्धार के लिये अपने आप को बलिदान किया है और अपनी दया के अनुसार हमें नया जन्म दिया है।

10.यीशु मसीह विश्वासयोग्य है।

यीशु मसीह विश्वासयोग्य प्रभु है। यीशु ने जितने भी वायदे किये हैं वह सब हां और आमीन में है। आईये नीचे लिखे वचन को पढ़ते हैं –
02 तीमुथियुस 02ः13 ‘‘यदि हम अविश्वासी भी हों तौभी वह विश्वास योग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता॥”
ऊपर लिखे वचन के अनुसार मसीह अपनी प्रतिज्ञाओं और चेतावनियों दोनो को पूरा करेगा। विश्वासी बदल जाएं पर प्रभु यीशु कभी भी नहीं बदलेंगे।
परमेश्वर आपको आशिष दे।
आमीन

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